जनता पार्टी अध्यक्ष डा. सुब्रमण्यम स्वामी ने कांग्रेसी सरकार व इनके नेताओं के भ्रष्टाचार उजागर कर करके इन सबकी नींद उड़ा रखी है. भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में भ्रष्टाचार के नित नये काम करके झंडे गाड़ने में तो कांग्रेसी अव्वल रहे हैं परंतु अब इनके हाथों के तोते उड़ते दिख रहे हैं.
इन्हे कुछ सूझ ही नहीं पा रहा.
पहले तो तो गुलाम मीडिया का सहारा ले ले कर खबरें दबाने का खूब कुप्रयास किया. फिर तीन बार डा. स्वामी के ऊपर हमला करने की नाकाम कोशिश की. फिर अदालत में ले जाकर मानहानि का केस दायर करने की बन्दर घुड़की भी जब काम न आई तो अब ये लोग ओछी हरकतों पर उतर आये हैं.
डा.स्वामी व उनके कार्यालय के फोन नम्बरों व ई-=मेल का सहारा लेकर आगरा के दो हिन्दी दैनिक अखबारों- जागरण तथा अमर उजाला में नौकरी के फर्ज़ी विज्ञापन दे दिये ताकि डा. स्वामी व उनका पूरा कार्यालय दिन रात आने वाले फोन कालों से ही घिरा रहे . यदि वे अपने फोन बन्द कर दें तो अपने समर्थकों की दुनिया से कट जायें.
मंगल वार 27 नवम्बर को जब ये विज्ञापन प्रकाशित हुए तो जैसा कि साजिश थी, डा. स्वामी के पास फोन का तांता लग गया और उन्हे परेशान होना पड़ा.
बाद में ज़ॅब जानकारी एकत्र की गयी तो पता लगा कि ये फर्ज़ी विज्ञापन "झा पब्लिसिटी सर्विस,कमला नगर , आगरा " के माध्यम से आये थे, जब इन दोनों समाचार पत्रों को कानूनी नोटिस भेजा गया तो उन्हे भी खेद व्यक्त करना पड़ा.
देखना यह है कि अब इन कांग्रेसी जनखानुमा नेताओं के पास क्या नया हथकंडा है?
इन्हे असली जवाब तो जनता की अदालत में देना होगा . इन्हे अब अहसास हो गया कि इनका पत्ता कटने वाला हैं .तभी तो ये लोग नीच हर्कतों पर उतर आये हैं.
इन्हे कुछ सूझ ही नहीं पा रहा.
पहले तो तो गुलाम मीडिया का सहारा ले ले कर खबरें दबाने का खूब कुप्रयास किया. फिर तीन बार डा. स्वामी के ऊपर हमला करने की नाकाम कोशिश की. फिर अदालत में ले जाकर मानहानि का केस दायर करने की बन्दर घुड़की भी जब काम न आई तो अब ये लोग ओछी हरकतों पर उतर आये हैं.
डा.स्वामी व उनके कार्यालय के फोन नम्बरों व ई-=मेल का सहारा लेकर आगरा के दो हिन्दी दैनिक अखबारों- जागरण तथा अमर उजाला में नौकरी के फर्ज़ी विज्ञापन दे दिये ताकि डा. स्वामी व उनका पूरा कार्यालय दिन रात आने वाले फोन कालों से ही घिरा रहे . यदि वे अपने फोन बन्द कर दें तो अपने समर्थकों की दुनिया से कट जायें.
मंगल वार 27 नवम्बर को जब ये विज्ञापन प्रकाशित हुए तो जैसा कि साजिश थी, डा. स्वामी के पास फोन का तांता लग गया और उन्हे परेशान होना पड़ा.
बाद में ज़ॅब जानकारी एकत्र की गयी तो पता लगा कि ये फर्ज़ी विज्ञापन "झा पब्लिसिटी सर्विस,कमला नगर , आगरा " के माध्यम से आये थे, जब इन दोनों समाचार पत्रों को कानूनी नोटिस भेजा गया तो उन्हे भी खेद व्यक्त करना पड़ा.
देखना यह है कि अब इन कांग्रेसी जनखानुमा नेताओं के पास क्या नया हथकंडा है?
इन्हे असली जवाब तो जनता की अदालत में देना होगा . इन्हे अब अहसास हो गया कि इनका पत्ता कटने वाला हैं .तभी तो ये लोग नीच हर्कतों पर उतर आये हैं.