Thursday, October 11, 2012

( आज जिनका जन्म दिन है ) अमर रहेंगे लोकनायक जय प्रकाश नारायण


जब भारतीय लोकतंत्र खतरे  में था और लोकतांत्रिक व्यवस्था को तहस नहस कर के देश पर तानाशाही लादने का प्रयास हो रहा था ,तब रोशनी की एक किरण बनकर देश को फिर से लोकतांत्रिक प्रकाश में ले जाने वाले लोकनायक जय प्रकाश नारायण का आज जन्म दिन है.
यह दुर्भाग्य ही है कि आज समाचार पत्र-पत्रिकाओं में ,टेलीविज़न के विभिन्न चैनलों पर अमिताभ बच्चन के 70 वें जन्मदिन का उल्लास मनाया जा रहा है और देश को दूसरी आज़ादी दिलाने वाले लोकतंत्र के इस महापुरुष को मीडिया भी भूल गया है.
11 अक्टूबर 1902 को सिताब दियारा नामक स्थान पर जन्मे लोकनायक भारतीय राजनीति के महानायक तो थे ही, अपितु सत्ता से दूर रहक्रर “सम्पूर्ण क्रांति” के अपने सपनों को पूरा करने में उन्होने अपने प्राणों की भी आहुति दे कर हमें दिखा दिया कि राजनीति क्या होती है.
कुशाग्र बुद्धि वाले जय प्रकाश नारायण एक मेधावी छात्र थे और सदैव अपनी शैक्षणिक उपलब्धियों के बूते पुरुस्कार पाते रहते थे. किंतु इस महात्यागी, महा बलिदानी ने अपना कैरियर दांव पर लगा कर महात्मा गान्धी के असहयोग अन्दोलन में भाग लिया. बाद में वह अपनी प्रतिभा के बल पर छात्रवृत्ति पाकर अमरीका गये तथा ओहाइयो वि.वि. से स्नातकोत्तर उपाधि अर्जित की.
वह पूंजीवाद के विरोध में सर्वहारा के लिये संघर्ष को सही मानते थे. इस सोच के चलते जब वह राजनीति में आये तो उन्होने वामपंथी विचारधारा  को चुना. समाजवादी,साम्यवादी विचारों के चलते वह कांग्रेस के साथ ज्यादा दिन चल नहीं सके और सोशलिस्ट  पार्टी बनायी.
वैचारिक रूप से वह शोषण के खिलाफ थे तथा इसी के चलते वह किसान,मज़दूर,गरीब, सर्वहारा के हितों लिये  सरकार से संघर्ष करते रहे. बाद में राजनीति से उनक   मोहभंग हो गया तथा उन्होने आचार्य विनोबा भावे के भू-दान अन्दोलन की राह पकड़ ली. इसी रूप में उन्होने मध्य प्रदेश में अनेक डाकुओं  के आत्म समर्पण में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी. -
1973 मे गुजरात में चिमन भाई पटेल तथा बिहार में अब्दुल गफूर के नेट्रत्व में कांग्रेस्सी सरकारें थीं ,जहां भ्रष्टाचार ,भाई भतीजावाद, लूट-खसोट ,बेरोज़गारी ,गरीबी का साम्रज्य था. जनता त्राहि त्राहि कर रही थी. ऐसे समय  में उन्होने गुजरात से नव-निर्माण आन्दोलन शुरू किया, जिसमें उन्होने छात्रों व युवकों के आन्दोलन को दिशा दी. 1974 में उन्होने बिहार मे नव-युअव्कों व छात्रों को मिलाकर जनता मोर्चा बनाया तथा सरकार के खिलाफ संन्घर्ष किया.  यह ऐतिहासिक आन्दोलन भारतीय लोकतंत्र को नयी दिशा देने वाला सिद्ध हुआ.
जबलपुर लोकसभा के उपचुनाव में कांग्रेस्सी प्रत्याशी को हराकर शरद यादव जीते और इसी के साथ जनता मोर्चा क शुभारम्भ  हो गया. जेपी ने इस आन्दोलन में गज़ब का सामंजस्य दिखाते हुए सभी गैर कांग्रेसी  दलों को एक मंच पर ला खड़ा किया. यह एक जादू सा ही था,परन्तु जेपी के नेतृत्व में ही सम्भव था. बाद में 12 जून 1975 को इन्दिरा गान्धी जब अदालत के द्वारा लोकसभा से हटा दीं गयी तो आन्दोलन और भी उग्र हो गया तथा यह देशव्यापी हो गया. 
25 जून को आपात काल ( इमर्जेंसी) लगाकर सारे विपक्षी नेताओं को जेल में डाल दिया गया. ज़ेपी भी जेल में बन्द हो गये. 18 माह बाद जब चुनाव घोषित हुए तो अनेक नेता प्रचार के भी काबिल नहीं थे .जे पी ने फिर करिश्मा कर दिखाया और जनता पार्टी की सरकार मोरार जी देसाई के नेतृत्व में बनी . आज़ाद भारत में यह पहली केन्द्र सरकार थी जिसे गैर कांग्रेसी सरकार कहा जा सकता है. इसे सारे गैर-कांग्रेसी दलों का सम्र्थन हासिल था,.
यह अलग बात है कि जनता प्रयोग भी आपसी झगडों के चलते विफल रहा. जेपी हताश व निराश हो गये .
8 अक्टूबर ,1979 को इस  भारतीय क्रांतिकारी राजनेता ने भूलोक त्याग दिया. किंतु जेपी अमर रहेंगे. हमारे दिलों मे.
जनता पार्टी अध्यक्ष डा. सुब्रमण्यम स्वामी जब हार्वर्ड वि.वि अमरीका में प्राध्यापक थे तब वहां जे पी एक आमंत्रण पर पहुंचे. तब उन्हे हार्वर्ड वि.वि. से परिचित कराने तथा आव-भगत का जिम्मा दिया गया. बाद में जब डा. स्वामी भारत वापिस आये तथा राजनीति में जे पी के सम्पर्क में आये तो जे पी बहुत उत्साहित थे. दिल्ली की ऐतिहासिक रामलीला मैदान की रैली का आयोजन मुख्य रूप से डा. स्वामी को जे पी ने ही सौंपा था. अंतिम दिनों में  उन्होने डा. स्वामी से कहा था कि जनता पार्टी नहीं छोड़ना ,चाहे सब छोड़ जायें . डा. स्वामी ने ऐसा ही किया.  आज के ही दिन 1988 में बंगलौर में जब जनता दल बना तो हम लोग उसमें शामिल नहीं हुए, जब कि अधिकांश जनता पार्टी के नेता जनता दल में चले गये.  तब  इन्दुभाई पटेल को अध्यक्ष बनाया गया था. इस पर विस्तार से चर्चा फिर कभी. 
लोकनायक ने देश की राजनीति में जो परिवर्तन किया वह स्थायी तो नहीं था ,परंतु ऐसे बीज़ बो दिये गये,जिससे लोकतंत्र का पौधा परिपक्व हो गया.
जनता परिवार की श्रद्धांजलि . 

(नीचे चित्र में: जेपी और कामराज)

( लेखक : डा. अरविन्द चतुर्वेदी) 

2 comments:

  1. TRY TO RE - JOIN THE SOCIALIST GROUPS IN INDIA.INDIA NEED A STRONG AND IDEAL SOCIALIST LEADERSHIP IN PRESENT SITUATION .

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  2. जेपी हमारे दिलों मे अमर रहेंगे..

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