जनता पार्टी अध्यक्ष डा. सुब्रमण्यम स्वामी ने उत्तर प्रदेश के मेरठ जिलान्तर्गत हाशिमपुरा मामलो को प्रभावित व्यक्तियों के परिजनों के अनुरोध पर फिर उठाया है और इस बार उन्हे अदालत का सहारा मिला है
1987 में मेरठ ज़िले में साम्प्रदायिक तनाव रहा था . उस समय प्रदेश में बीर बहादुर सिंह मुख्य मंत्री थे. केन्द्र में राजीव गान्धी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार थी तथा इसमें पी चिदम्बरम गृह राज्य मंत्री थे.
कहा जाता है 1987 में 22 मई की रात हाशिमपुरा से युवकों को पी ए सी के जवानों ने गाडी में लादा और रात में उन्हे गोली मारकर लाशों को नहर में फेंक दिया.
इस मामले में जांच की मांग को लेकर डा. स्वामी ने आमरण अनशन किया था . आठ दिन बाद प्रधान मंत्री ने जांच की मांग स्वीकार की और पी ए सी के सिपाही व अधिकार्रियो के खिलाफ मामला दर्ज हुआ.
कुछ माह पूर्व जब प्रभावित व्यक्तियों के परिजनों ने डा. स्वामी से दुबारा हस्तक्षेप का अनुरोध किया तो डा. स्वामी ने अदालत में फिर मुकदमा दायर करके चिदम्बरम की भूमिका की जांच की मांग की. 16 अक्टूबर को अदालत ने सरकारी वकील के ज़रिये से नोटिस ज़ारी करके पूछा है कि क्यों न यह मामला जांच के लिये आगे ले जाया जाये.
1987 में मेरठ ज़िले में साम्प्रदायिक तनाव रहा था . उस समय प्रदेश में बीर बहादुर सिंह मुख्य मंत्री थे. केन्द्र में राजीव गान्धी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार थी तथा इसमें पी चिदम्बरम गृह राज्य मंत्री थे.
कहा जाता है 1987 में 22 मई की रात हाशिमपुरा से युवकों को पी ए सी के जवानों ने गाडी में लादा और रात में उन्हे गोली मारकर लाशों को नहर में फेंक दिया.
इस मामले में जांच की मांग को लेकर डा. स्वामी ने आमरण अनशन किया था . आठ दिन बाद प्रधान मंत्री ने जांच की मांग स्वीकार की और पी ए सी के सिपाही व अधिकार्रियो के खिलाफ मामला दर्ज हुआ.
डा.स्वामी की आमरणअनशनके दौरान जांच ( 5 अगस्त 1988) डा. स्वामी के बांयें सिरहाने बैठे हैं अरविन्द चतुर्वेदी |
We want P Chdambram behind the bars...
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